जो हुक़्म देता है वो इल्तिजा<ref>अनुरोध</ref> भी करता है
ये आसमान कहीं पर झुका भी करता है
मैं अपनी हार पे नादिम<ref>शर्मिंदा</ref> हूँ इस यक़ीन के साथ
कि अपने घर की हिफ़ाज़त<ref>सुरक्षा</ref> ख़ुदा भी करता है
तू बेवफ़ा है तो इक बुरी ख़बर सुन ले
कि इंतज़ार मेरा दूसरा भी करता है
हसीन लोगों से मिलने पे एतराज़ न कर
ये जुर्म वो है जो शादीशुदा भी करता है
हमेशा ग़ुस्से में नुक़सान ही नहीं होता
कहीं -कहीं ये बहुत फ़ायदा भी करता है
शब्दार्थ
<references/>