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"झरना बने हुए हो कोई तुम से क्या मिले / मुज़फ़्फ़र हनफ़ी" के अवतरणों में अंतर

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झरना बने हुए हो कोई तुम से क्या मिले
 
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उतरे पहाड़ से तो समन्दर से जा मिले
 
उतरे पहाड़ से तो समन्दर से जा मिले

09:34, 25 मार्च 2014 के समय का अवतरण

झरना बने हुए हो कोई तुम से क्या मिले
उतरे पहाड़ से तो समन्दर से जा मिले

किरदार की ख़ला में मुअल्लक़ नहीं हूँ मैं
लेकिन कोई सिला तो मिरी ज़ात का मिले

पहचान ले जो मद्दे-मुक़ाबिल <ref> प्रतिद्वन्द्वी </ref> को वाकई
हर आइने से खून उबलता हुआ मिले

छोटा-सा एक नीम का पौधा करे भी क्या
हर बेल चहती है उसे आसरा मिले

पेशानियाँ टटोल फ़रिश्ते मिलें अगर
मिट्ती का पाँव देख अगर देवता मिले

शब्दार्थ
<references/>