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झर्यो जिन्दगी फुट्यो जिन्दगी / कालीप्रसाद रिजाल

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झर्यो जिन्दगी फुट्यो जिन्दगी
छल्केर आँखामा बग्यो जिन्दगी।
काँडामा हाँसेको मिठो जिन्दगी
सपनीमा नाँचेको झुठो जिन्दगी
रहरको दहमा डुब्यो जिन्दगी
झर्यो जिन्दगी फुट्यो जिन्दगी।
पिरले भरेको खाली जिन्दगी
पिरतीले रुवाएको प्यारो जिन्दगी
आज आफ्नै छातीमा दुख्यो जिन्दगी
झर्यो जिन्दगी फुट्यो जिन्दगी।