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झूला पड़ गयो रे आगन मे / बुन्देली

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   ♦   रचनाकार: अज्ञात

झूला पड़ गयो रे आंगन में
बन में नाचे लागी मोर।
को जो झूलें को जो झुलावें
को जो खींचे डोर।
गणपति झूलें शंभु झुलावें
गौरा खींचे डोर। झूला...
कौना महिना जन्म भयो है
कौने नाम धरायो। झूला...
भर भादों में जनम भयो है
गणपति नाम धराये। झूला...
काहे को इन्हें भोग लगत है
काहे पे होत सवार। झूला...
मोदक को इन्हें भोग लगत है
मूषक पे होत सवार। झूला...