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"झोला / रश्मि रेखा" के अवतरणों में अंतर

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यह झोला
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नहीं जानती किन छोटी-मोटी जरूरतों के तहत
पहिए के बाद का सृष्टि का सबसे बड़ा अविष्कार है
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आविष्कार हुआ होगा झोले का
कभी पड़ी होगी जरूरत कैंची, सुई और धागे की एक साथ
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पहिये के बाद सृष्टि का सबसे बड़ा आविष्कार
समय की फिसलन से कुछ चीज़ें बचा लेने की इच्छाओं ने मिल-जुलकर डाली होगी नींव झोले की।
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पर इससे पहले बनी होगी गठरियाँ
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समय की फिसलन से कुछ चीज़े बचा लेने की  
कुछ सौगात अपनों के लिए  
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इच्छाओं ने मिल -जुल कर रची होगी शक्ल झोले की
बांध ले जाने की ख्वाहिश में  
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पर इससे पहले बनी होगी गठरियौ
उम्र के भावों में पीछा करते अनुभवों को
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कुछ सौगात अपनों के लिए
मुश्किलें आसान करने के कुछ खास नुस्खों को
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बांध लेने की ख्वाहिश में  
दूसरों के लिए बचाने की खातिर ही  
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बनी होगी तह दर तह  
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उम्र के बहाव में पीछा करते एहसास
चेहरों पर झुर्रियों की झोली
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मुश्किलें आसन करने के कुछ आसन नुस्ख़े
जिसे बांट देना चाहता होगा हर शख्स  
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अपनों के लिए बचाने की खातिर ही  
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बनी होगी तह-दर-तह  
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चेहरे पर झुर्रियो की झोली  
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जिसे बाँट देना चाहता होगा हर शख्स  
 
जाने से पहले  
 
जाने से पहले  
कि आगे भी बची रह सके उसकी छाप और परछाई।
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कि बची रह सके उसके छाप और परछाईं
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कुछ लेने के लिए भी तो चाहिए झोले
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घर में एक के बाद एक आते है दूसरे नए-नए झोले
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कभी-कभी सिर्फ़ अपने लिए बनते है ये
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दिल की भीतरी तहों में
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हर झोले में होते है चीज़ो के अलग महीन अर्थ
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लिपि बनने को आतुर रेखाऍ
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शिल्प में ढलने को मचलती आकृतियाँ
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जागते हुए सपने देखने की कला
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दरअसल इसी में फंसा होता है हमारा चेहरा
 
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17:19, 30 सितम्बर 2014 के समय का अवतरण

नहीं जानती किन छोटी-मोटी जरूरतों के तहत
आविष्कार हुआ होगा झोले का
पहिये के बाद सृष्टि का सबसे बड़ा आविष्कार

समय की फिसलन से कुछ चीज़े बचा लेने की
इच्छाओं ने मिल -जुल कर रची होगी शक्ल झोले की
पर इससे पहले बनी होगी गठरियौ
कुछ सौगात अपनों के लिए
बांध लेने की ख्वाहिश में

उम्र के बहाव में पीछा करते एहसास
मुश्किलें आसन करने के कुछ आसन नुस्ख़े
अपनों के लिए बचाने की खातिर ही
बनी होगी तह-दर-तह
चेहरे पर झुर्रियो की झोली
जिसे बाँट देना चाहता होगा हर शख्स
जाने से पहले
कि बची रह सके उसके छाप और परछाईं

कुछ लेने के लिए भी तो चाहिए झोले
घर में एक के बाद एक आते है दूसरे नए-नए झोले
कभी-कभी सिर्फ़ अपने लिए बनते है ये
दिल की भीतरी तहों में
हर झोले में होते है चीज़ो के अलग महीन अर्थ
लिपि बनने को आतुर रेखाऍ
शिल्प में ढलने को मचलती आकृतियाँ
जागते हुए सपने देखने की कला

दरअसल इसी में फंसा होता है हमारा चेहरा