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टाईपराईटर / तेज राम शर्मा

टाईपराईटर
ढूँढता रह जाता है
उन शबदों को
जो किसी के सपने-से
गुम होगए थे
हर याचना उस तक पहुँचती है
और अंधेरी गुफाओँ में
कहीं खो जाती है
समय
पूर्णिविरामों और प्रश्नचिन्हों के बीच
पिसता रहता है
और उम्मीदों के आगे
रोमाँच भरा चिह्न लगाना
टाईपराईटर भूल जाता है

समुद्र मंथन से निकलते ही
उसके लिए देवों और दुर्जनों में
कुहराम मचता है
मिमियाने को अनसुना करते
दिगन?त उदघोषों के बीच
निकालते हैं वे अपना घोषणा-पत्र
राजाज्ञाओं और राजदंड की संहिता को
यंत्रवत बाँचता रहता है टाईपराईटर

रात के एकाकीपन में
जब उसका मन होता है
कि दिल की धड़कनों को
टाईप कर डाले
तो एक मोटा-सा ताला
उसके मुँह पर जड़ा होता है
अंधेरी रातों में
अंधेरे से बाहर निककलने की राह खोजता
सूरज का मार्ग
ढूंढता रहता है टाईपराईटर

हर अक्षर के नीचे
वर्षों की यातनाएं छुपाता
किसी की उंगलियों के इशारों पर
लोभ की अग्नि में
आहुतियाँ देता रहता है वह

गहरे होते ज़ख़्मों के बीच
टाईपराईटर चाहता है कि
दम टूटने से पहले
एक शिशु आए
और उंगलियों के कोमल स्पर्श से
रोशनी एक मसौदा टाईप कर जाए।