भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

"टिटिहिरी / अशोक शाह" के अवतरणों में अंतर

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज
('{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=अशोक शाह }} {{KKCatKavita}} <poem> </poem>' के साथ नया पृष्ठ बनाया)
 
 
पंक्ति 5: पंक्ति 5:
 
{{KKCatKavita}}
 
{{KKCatKavita}}
 
<poem>
 
<poem>
 +
काली-सफेद कुर्ती में
 +
कजरारे नयन और छरहरा बदन वाली
 +
सरपट भागती लमगोड़ी
 +
पुकारती  हर मौसम को
 +
कुदरत के लिए करती है मॉडलिंग
 +
हमारी पड़ोसन टिटिहिरी
 +
 +
शाम को, दोपहर में
 +
ग्रीष्म वसन्त शिशिर में
 +
खेत खलिहान जंगल जहान में
 +
प्रकृति के हर रूप एवं मूड को
 +
परोसती अथक
 +
हम सबके समक्ष
 +
जो कुछ भी बचा रह गया धरती पर
 +
सवारने करती आहवान
 +
 +
देखो, खोलती सहेजके धरहरों का आकाश
 +
जिसमें मेघ है, हवा है, आकार हैं
 +
और खूब सारी जगह
 +
आने वाली पीढ़ियों के लिए
 +
 +
किताबों के हम पढ़ाकू
 +
अपना खाना और मकान से
 +
कितना अधिक जानते हैं
 +
निसर्ग की इस मॉडल को
  
 
</poem>
 
</poem>

22:11, 7 अगस्त 2020 के समय का अवतरण

काली-सफेद कुर्ती में
कजरारे नयन और छरहरा बदन वाली
सरपट भागती लमगोड़ी
पुकारती हर मौसम को
कुदरत के लिए करती है मॉडलिंग
हमारी पड़ोसन टिटिहिरी

शाम को, दोपहर में
ग्रीष्म वसन्त शिशिर में
खेत खलिहान जंगल जहान में
प्रकृति के हर रूप एवं मूड को
परोसती अथक
हम सबके समक्ष
जो कुछ भी बचा रह गया धरती पर
सवारने करती आहवान

देखो, खोलती सहेजके धरहरों का आकाश
जिसमें मेघ है, हवा है, आकार हैं
और खूब सारी जगह
आने वाली पीढ़ियों के लिए

किताबों के हम पढ़ाकू
अपना खाना और मकान से
कितना अधिक जानते हैं
निसर्ग की इस मॉडल को