भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

टिली-लिली / प्रभाष मिश्र 'प्रियभाष'

Kavita Kosh से
Anupama Pathak (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 04:26, 7 अक्टूबर 2015 का अवतरण ('{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=प्रभाष मिश्र 'प्रियभाष' |अनुवादक= |...' के साथ नया पृष्ठ बनाया)

(अंतर) ← पुराना अवतरण | वर्तमान अवतरण (अंतर) | नया अवतरण → (अंतर)
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज

चूहेराम उड़ाते खिल्ली,
टिली, लि-ली,
पकड़ न पाई मोटी बिल्ली
टिली, लि-ली।

नाली में मुँह धो आओगी,
फिर भी मुझे न छू पाओगी,
मौसी बहुत दूर है दिल्ली
टिली, लि-ली।

मुझसे रहती हो खिसयानी,
लेकिन क्यों मर जाती नानी,
अगर भौंक दे पिल्ला-पिल्ली
टिली, लि-ली।

झबरू जी ने रस घोला था,
मुझको पहलवान बोला था,
तुमको बता गए मरगिल्ली
टिली, लि-ली।

कमजोरों को जो न सताते,
वही बहादुर हैं कहलाते,
क्या समझीं मैडम सिलबिल्ली
टिली, लि-ली।

-साभार: नंदन, मार्च, 2007, 18