Last modified on 7 अप्रैल 2011, at 21:19

टेढ़ी चाल जमाने की / शिव बहादुर सिंह भदौरिया

सीधी -
सादी पगडंडी पर
टेढ़ी चाल जमाने की ।

एक हक़ीक़त मेरे आगे
जिसकी शक्ल कसाई-सी
एक हक़ीक़त पीछे भी है
ब्रूटस की परछाईं-सी

ऐसे में भी
बड़ी तबीयत
मीठे सुर में गाने की ।

जिस पर चढ़ता जाता हूँ
है पेड़ एक थर्राहट का
हाथों तक आ पहुँचा सब कुछ
भीतर की गर्माहट का


जितना ख़तरा
उतनी ख़ुशबू
अपने सही ठिकाने की ।