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टैंक / कुमार मंगलम

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एक

टैंक
में भरे बारूद से ज़्यादा
ख़तरनाक होता है
दिमाग में भरा बारूद

दो

बारूद की गन्ध
क्षत-विक्षत शरीर
चिपचिपे, सूख के पपड़ी बने
ख़ून के धब्बों से
राष्ट्र नहीं
हिंसा पैदा होती है ।

तीन

टैंक के उपयोग में
आने वाले बारूद के गोले से
कहीं ज्यादा ख़तरनाक है
नागपुरी मस्तिष्क से उपजे फ़रमान

चार

टैंक
शक्तिशाली हाथी के बल का पर्याय है
और विश्वविद्यालयों का ज्ञान
चींटी के सूक्ष्म लगन और क्रियाशीलता के
ज्ञान से बड़े सूरमा भी डरते हैं
बलों के रक्तिम इतिहास को
पर्दाफाश कर देता है ज्ञान
तर्क़ कसौटी है तुम्हारे झूठे सच को उकेरने का
जब भी ज्ञान से ख़तरा हो सरकार को
ज्ञान और तर्क़ के गढ़ पर टैंक रखे जाने के प्रस्ताव पारित होते हैं ।

पाँच

टैंक
प्रतीक है युद्धोन्माद और हिंसा का
उससे जँग जीती जाती है
दिलो - दिमाग नहीं
जहाँ दिलों - दिमाग के सौदागर बसते है
वे बारूदों से उड़ा देना चाहते हैं

ज्ञान और तर्क़ के मस्तिष्क को
वे पक्ष चाहते हैं किसी की पक्षधरता नहीं
वे क्रिया के व्यापारी हैं प्रतिक्रिया उन्हें बर्दाश्त नहीं
वे उद्वेलित हो जाते हैं
उन्हें ख़तरे का भय सताता रहता है
वे दिमागों में भी टैंक रखना चाहते हैं
अदृश्य टैंक
जिसे पहले विरोध के साथ ही ट्रिगर कर दिया जाए
फिर भी कुछ सिरफिरे होते हैं
जो किसी टैंक से नहीं डरते
वे बारूद में पानी डाल देते हैं
तुम्हारी अनन्त इच्छाओं पर वे
गिरते हैं वज्रपात-से ।