टॉफी जैसे दिन हों भाई
चॉकलेट जैसी रातें,
झरनों जैसे गाने हों जी
चिड़ियों जैसी अपनी बातें।
फिर तो खूब मजा आ जाए।
फूलों जैसा मन खिल जाए।
टॉफी जैसे दिन हों भाई
चॉकलेट जैसी रातें,
झरनों जैसे गाने हों जी
चिड़ियों जैसी अपनी बातें।
फिर तो खूब मजा आ जाए।
फूलों जैसा मन खिल जाए।