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डरोॅ सेॅ मरी गेलै / दिनेश बाबा

एक रहै खरगोस बड़ा
हरदम राखै कान खड़ा
सुन्दर सजलो बन्ना रं
खड़ा हुवै चौकन्ना रं
एक रहै बाघोॅ रोॅ मौसी
दूर सें देखै सदा एकौसी
जना गँवाय केॅ आपनो होस
देखी केॅ भागलै खरगोस
गेलै दोसर दिन झाड़ी में
बड़का बैगन के बाड़ी में
थर थर करी केॅ काँपेॅ लगलै
दम लै लै केॅ हाँफेॅ लगलै
डरोॅ से हौ दिन एहिनोॅ भागलै
कि सुतलै तेॅ कभी नै जागलै।
कुछ देखी के डरी गेलै हौ
सुतले सुतले मरी गेलै हौ।