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डांखळा 4 / शक्ति प्रकाश माथुर

हाथां मांही झोलो लियां छोटो लियां मोडै पर।
मूळयां लेवण मेळै पूग्यो, मालणजी रै ओडै पर।।
टींगर जाग्यो सूत्यो।
ओडै रै मां मूत्यो।।
मालण फैंक्यो किलो आळो बट्टो बींरै गोडै पर।।

बकरियै ने कैयो बकरड़ी मैं तो होगी आखती।
हर्यो चरबा फिरती फिरूं इनै बिनै भागती।।
जद भी जाऊं बारै।
गण्डक पड़ज्या लारै।।
बेलड़्यां उगोदयो ढोला, टापली रै पाखती।।