भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

डोर चाँदनी / रामेश्वर काम्बोज ‘हिमांशु’

Kavita Kosh से
वीरबाला (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 00:33, 20 जुलाई 2018 का अवतरण ('{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार= रामेश्वर काम्बोज 'हिमांशु' |संग...' के साथ नया पृष्ठ बनाया)

(अंतर) ← पुराना अवतरण | वर्तमान अवतरण (अंतर) | नया अवतरण → (अंतर)
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज


डोर चाँदनी
बना चाँद का झूला
तुम्हें झूला दूँ,
थकान चूमकर
दूर भगा दूँ
ये बिखरी अलकें
बैठ सँवांरूँ
पोंछ भीगी पलकें
दर्द हरूँ मैं।
सपन सुनहले
दे दूँ तुमको
दीप तारक दल
बालूँ पथ में
अंक में छुपाकर
तुम्हें ले चलूँ
दूर गगन पथ
कोई न रोके
मुस्कान तुम्हें सौंप
मैं भी चल दूँ
ताप नहीं छू सके
तुम्हें वह बल दूँ।