{{KKRachna
|रचनाकार=धर्मवीर भारती
|अनुवादक=
|संग्रह=ठण्डा लोहा / धर्मवीर भारती
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<poem>
अगर डोला कभी इस राह से गुजरे कुवेला,
यहाँ अम्बवा तरे रुक
एक पल विश्राम लेना,
मिलो जब गांव गाँव भर से बात कहना, बात सुनना
भूल कर मेरा
न हरगिज नाम लेना
अगर कोई सखी कुछ जिक्र मेरा छेड़ बैठे,
हंसी हँसी में टाल देना बात,
आँसू थाम लेना