Last modified on 28 सितम्बर 2011, at 04:42

ढलता सूरज / नवनीत पाण्डे

Neeraj Daiya (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 04:42, 28 सितम्बर 2011 का अवतरण

(अंतर) ← पुराना अवतरण | वर्तमान अवतरण (अंतर) | नया अवतरण → (अंतर)

घर के बाहर खड़ा
वह देख रहा है अपना घर
उसका भीतर
भीतर का भीतर
मैं देख रहा हूं उसके चेहरे पर
अनंत के सारे रंग
अंत के सारे रूप
दूर आसमान में
झीने-झीने बादलों के पीछे
धुंधलाता,अपनी चमक ढोता
ढलता सूरज