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ढलने लगी है रात कोई बात कीजिये / राहत इन्दौरी

ढलने लगी है रात कोई बात कीजिये
बढ़ने लगी है बात कोई बात कीजिये
है ज़िन्दगी का साथ कोई बात कीजिये
कट जाएगी ये रात कोई बात कीजिये

जाने तन्हाई हमसे क्या कह रही है
दिल की गहराई हमसे क्या कह रही है
एक एक पल के साथ कोई बात कीजिये
बन कर रहेगी बात कोई बात कीजिये
ढलने लगी है रात...

जितनी हदें हैं, सब तोड़ डालें, बातों ही बातों में हम
होंठों के रंग से होंठों पे लिख दें, बातें दिलों की सनम
बात चाहत की रौशनी बन के आये
बात सुन सुन के बात भी मुस्कुराये
यूँ सादगी के साथ कोई बात कीजिये
बन कर रहेगी बात कोई बात कीजिये

ढलने लगी है रात कोई बात कीजिये
बढ़ने लगी है बात कोई बात कीजिये

यह गीत राहत इन्दौरी ने फ़िल्म 'इन्तहा' (2003) के लिए लिखा था ।