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ढाई आखर / परिचय दास

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प्रेम इतना असान ना ह
जेतना असान समझल जाला
ई कठिन ह ओतने
जेतना कठिन ह जिंदगी के राह
जइसे शब्द बनेलें प्रार्थना के मंत्र
आ अंतस में उतरल चल जालें
वइसहीं कवनो मानुष गंध बनेले प्रेम
आ हमनीं के अतल तल में उतारत चल जालीं

प्रेम तोरेला अर्धरात्रि के दारुन सन्नाटा
पृथ्वी -लय के अनुकूल बनावेला
देला बास-सुबास आत्मा के कोना के
अकास में लटकत पुष्प-गुच्छ चूम लेला।

संसार में हमनीं के अनन्यता सिद्ध करेला ई प्रेम

प्रेम एतना कठिन ना ह
जेतना समझल जाला
ई सहज ह ओतने
जेतना मनई के आदिम सुभाव।