Last modified on 27 दिसम्बर 2019, at 13:59

ढेर दिन बाद / मुनेश्वर ‘शमन’

सशुल्क योगदानकर्ता ५ (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 13:59, 27 दिसम्बर 2019 का अवतरण ('{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=मुनेश्वर 'शमन' |अनुवादक= |संग्रह=सप...' के साथ नया पृष्ठ बनाया)

(अंतर) ← पुराना अवतरण | वर्तमान अवतरण (अंतर) | नया अवतरण → (अंतर)

ढेर दिनन के बाद खेत में,
उपजल सगरो धान रे।
 
जइसन आस जगइलक अदरा,
ओइसने टूट के बरसल बदरा।
तपल कियारी- बंजर- पोखर,
लेलकइ जुड़ा परान रे।

लमहर बाल डाल पर झुमय,
बढ़ के हवा एकर मुँह चूमय।
ओस नहाल देख के घसियन,
सपना होलय जुआन रे।
 
मुँह बइने कोठी भर जइतय,
धिया बैठ कोहबर में गइतय।
दु:खदायी रतिया बीतल,
जिनगी में होलय बिहान रे।।