भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
तन्हा तन्हा रहते हो / मोहम्मद इरशाद
Kavita Kosh से
आशिष पुरोहित (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 17:22, 13 अप्रैल 2011 का अवतरण (नया पृष्ठ: {{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार= मोहम्मद इरशाद |संग्रह= ज़िन्दगी ख़ामोश कहाँ / म…)
तन्हा तन्हा रहते हो
क्या ख़ुद से ही मिलते हो
तुम भी अब चुपके-चुपके
नाम किसी का लेते हो
कह भी दो जो कहना है
इतना किससे डरते हो
अब सबको मालूम हुआ
दम तुम किसका भरते हो
मैंने सुना है तुम अक़्सर
अपने आप से लड़ते हो
तुम भी ऐ ‘इरशाद’ सुनो
जिक्र ये किसका करते हो