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तन्हा हूँ ज़िन्दगी के सफर में भी दोस्तों / मोहम्मद इरशाद


तन्हा हूँ ज़िन्दगी के सफर में भी दोस्तो
कितने ही ख़्वाब हैं मेरी नजर में भी दोस्तो

आना भी उनका गोया अलामत है मौत की
कुछ हादसे हैं उनकी ख़बर में भी दोस्तो

यूँ ही ख़फा-ख़फा से हुए लोग किस लिए
क्या हादसे हैं मेरे नगर में भी दोस्तो

लिखी हुई है पानी पर तहरीर इसलिए
देखो हैं राज़ इसकी लहर में भी दोस्तों

‘इरशाद’ क्या किसी से भी दुनिया ने की वफा
फिर क्यों है लोग इसके असर में भी दोस्तो