Last modified on 21 मई 2014, at 22:01

तब हम एक भये रे भाई / दादू दयाल

तब हम एक भये रे भाई।
मोहन मिल साँची मति आई॥टेक॥

पारस परस भये सुखदाई।
तब दूनिया दुरमत दूरि गमाई॥१॥

मलयागिरि मरम मिल पाया॥
तब बंस बरण-कुल भरग गँवाया॥२॥

हरिजल नीर निकट जब आया।
तब बूँद-बूँद मिल सहज समाया॥३॥

नाना भेद भरम सब भागा।
तब दादू एक रंगै रँग लागा॥४॥