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तमन्नाओं को जैसे क़ुव्वते -परवाज़ देती है / मयंक अवस्थी
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05:17, 22 अगस्त 2011
ख़बर दुनिया को लेकिन कब निगाहे -नाज़ देती है
वो दिल
नग्öमे
नगमे
सुनाने के लिये बेचैन रहता था
मगर हाथों में किस्मत बस शिकस्ता साज़ देती है
Shrddha
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