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तमाशबीन / गीताश्री

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मैं बहुत सी चीज़ों का हिस्सा कभी नहीं बन पाई
तमाशबीन रही शायद
या शामिल कर दी गई तमाशबीनो में
सड़क पर नाच रही लड़कियाँ
मैं शामिल नहीं हो पाई उस नाच में
मैदान मे मदारी डुगडुगी बजाता रहा
मैं सुन पाई, उसकी धुन पर ठुमक नहीं पाई
कुछ लोग चैन की बाँसुरी बजा रहे थे
मैं उसकी धुन पर सिहर नहीं पाई
कुछ लोग बहिष्कृत होकर गा रहे थे
उस गाने में पिछली सदी में छूट गए किसी साथी की तलाश थी शायद
मैं उस तलाश में शामिल नहीं पाई
कुछ लोग चौक पर चाय के साथ मस्ती पी रहे थे
बेंच पर ताल देते हुए मुक्त हो रही थीं कुछ छायाएँ
मैं पी नहीं पाई मस्ती का वह पेय
मिला नहीं पाई ताल से ताल
मंच पर थिरक रहा था, विहँस रहा था विदूषक
लोग हँसते हुए तालियाँ बजा रहे थे
मैं थिरक नहीं पाई
तालियों के कोरस में ही कहीं एक कमज़ोर ताली बजती रही देर तक
समूह में बैठे कुछ लोग विलाप कर रहे थे
मैं बनना चाहती थी विलाप का हिस्सा
कुछ देर वहाँ बैठकर अट्टाहास करना चाहती थी
बहुत दिनो से रुकी हुई कुछ आवाज़ें बाहर आना चाहती थीं
मैं शामिल नहीं हो पाई
वर्जित थीं मेरे लिए सारी चीज़ें
ठीक मेरे पड़ोस में
कुछ लोग ज़ोर-ज़ोर से हँस रहे थे
वे मना रहे थे मृत्यु-उत्सव
अनिच्छा के वाबजूद
मैं उसमें शामिल हो पाई
अब मैं हँस रही हूँ ज़ोर-ज़ोर से...