भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
तसव्वुर किसी ने किया हो किसी का / मधुभूषण शर्मा 'मधुर'
Kavita Kosh से
द्विजेन्द्र द्विज (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 17:13, 26 जून 2010 का अवतरण (नया पृष्ठ: {{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=मधुभूषण शर्मा 'मधुर' }} {{KKCatGhazal}} <poem> …)
तसव्वुर किसी ने किया हो किसी का
कि रिश्ता यही है ख़ुदा आदमी का
पता मौत का भी वही दे सकेगा
दिया जिसने इसको पता ज़िन्दगी का
करो पार पहले अँधेरों की बस्ती
मिलेगा तभी जा के घर रोशनी का
कहूं क्या इसी को मैं रहमत ख़ुदा की
मिला बाद मुद्दत जो लम्हा ख़ुशी का
बहुत ख़ूब ख़लक़त ने समझा है ख़ालिक़
कि समझे न जो वो करिश्मा उसी का