भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

तहे-शुऊर में उल्टे सभी हिसाब हुए / रवि सिन्हा

Kavita Kosh से
अनिल जनविजय (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 04:34, 6 जून 2020 का अवतरण ('{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=रवि सिन्हा |अनुवादक= |संग्रह= }} {{KKCatGha...' के साथ नया पृष्ठ बनाया)

(अंतर) ← पुराना अवतरण | वर्तमान अवतरण (अंतर) | नया अवतरण → (अंतर)
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज

तहे-शुऊर<ref>अवचेतन (subconscious)</ref> में उल्टे सभी हिसाब हुए
भली भली सी नसीहत से हम ख़राब हुए

लिखा तो साथ ही था हम ने एक दूजे को
हमीं तमाम हुए आप ही किताब हुए

अगर समेट भी लें ख़ुद को अब तो क्या हासिल
कभी बिखर के भी हम उनको बाज़याब<ref>पुनः प्राप्त (retrieved)</ref> हुए

किसी भी सम्त<ref>तरफ़ (towards)</ref> चले वापसी ख़ुदी पे हुई
मगर हरेक दफ़ा ख़ुद से बे-नक़ाब हुए

किसी मुरीद<ref>शिष्य (disciple)</ref> से सीखेंगे सब वली<ref>महात्मा (saint)</ref> मुर्शिद<ref>शिक्षक (teacher)</ref>
नई मशीन के असरारे-नौ<ref>नए रहस्य (new mysteries)</ref> निसाब<ref>पाठ्यक्रम (curriculum)</ref> हुए

कहाँ है दह्र<ref>युग, काल (era)</ref> का नक़्शा किधर है राहे-बहिश्त<ref>स्वर्ग का रास्ता (road to paradise)</ref>
यहाँ फ़रीक़<ref>दल के सदस्य (members (of a party))</ref> में झगड़ों के इन्क़लाब हुए

कहीं ज़रूर कोई मुल्क मर रहा होगा
फ़लक<ref>आसमान (sky)</ref> पे हिर्सो-हवस<ref>लालच और हवस (greed and lust)</ref> उड़ रहे उक़ाब<ref>गिद्ध (falcon)</ref> हुए

ज़मीं पे संगे-नहूसत<ref>आपदा के पत्थर (stones of misfortune)</ref> कहाँ से बरसे हैं
ख़ला<ref>शून्य, अन्तरिक्ष (space)</ref> को ताकिये बैठे वहाँ जनाब हुए

ये मोमिनों<ref>आस्थावानों (believers)</ref> की जो दुनिया उजाड़ रक्खी है
चलो अल्लाह मियाँ कुछ तो कामयाब हुए

शब्दार्थ
<references/>