भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

ताक / लक्ष्मीकान्त मुकुल

Kavita Kosh से
Sharda suman (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 11:16, 31 जनवरी 2014 का अवतरण ('{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=लक्ष्मीकान्त मुकुल |अनुवादक= |संग...' के साथ नया पन्ना बनाया)

(अंतर) ← पुराना अवतरण | वर्तमान अवतरण (अंतर) | नया अवतरण → (अंतर)
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज

थाकल आदमी
जब कबो भारी गठरी लदले
आवेला तनी नियरा
ओके देखि के जाने
काहें दो थरथराये लागेला
बांस के पुल
हमरा गाँव के