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तानागिरू / लीलाधर मंडलोई

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और दिनों से एकदम अलग है आज का दिन यहाँ

सुबह-सुबह निकलेगा पहली बार आज
उठाए तीर-कमान अपने बलिष्ठ कन्धे पर
और प्रतीक्षा में होंगे सब बच्चे, जवान, बूढ़े

झूम उठेगा समूचा गाँव
मार के लौटेगा जब नुकीले दाँतों वाला खतरनाक सूअर
उसके जीवन का अद्भुत समय है
की होगा आरूढ़ शिकार के सीने पर
निकलेगा रक्त, जमाएगा ख़ून के थक्के
और खाएगा आनन्द-विभोर हो पहले पहल
(अपने शिकार को गर्व से खाने का पहला दिन है आज)

बीस दिनों तक रोज़ जाएगा जंगलों में अकेला
और मार लाएगा एक से एक खतरनाक सूअर वह
प्रतीक्षा में ओंगियों का गाँव
रोज़ देखेगा उसका भरपूर जवान होना
और संस्कारों से एकदम अलग है 'तानागिरू'
डुगांगक्रीक की सबसे बड़ी ख़बर है आज
की अभी अभी एक लड़का हुआ है जवान

और इस तरह एक और रक्षक ओंगियों का

  • तानागिरू : अन्दमान की दुर्लभ जनजाति ओंगी का सबसे महत्वपूर्ण संस्कार समारोह है तानागिरू ! यह ओंगी के जवान सिद्ध होने पर आयोजित किया जाता है !