Last modified on 9 सितम्बर 2016, at 07:28

तारा री चुंदरी / राजस्थानी

   ♦   रचनाकार: अज्ञात

बई-सा रा बीरा, जयपुर जाजो जी
आता तो लाइ जो, तारा री चुंदरी...
सुन्दर गौरी, पोत बतावो जी
कसिक ल्यावा, तारा री चुंदरी...
बई-सा रा बीरा, हरा हरा पल्ला जी
कसुमल रंग की, तारा री चुंदरी...
म्हारी मिरगा नैनी, ओढ़ बतावो जी
कसिक सोवे, तारा री चुंदरी...
बई-सा रा बीरा, ननद हटीली जी,
ओढ़न नहीं दे, तारा री चुंदरी...
म्हारी चंदा बदनी, ओढ़ बतावो जी,
महेला में निरखा, जाली री चुंदरी...
बाई-सा बीरा, जयपुर जाजो जी,
आता तो लाइ जो, तारा री चुंदरी,
महेला में निरखा, जाली री चुंदरी