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तालाब / वसंत जोशी

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यह तालाब
लबालब होता है
चौमासे में

टेकरी पर से
अंधाधुध दौड़ता आता है
पानी मटमैला
शांत होकर
आसमानी बनता है

नहीं उठती लहरें उछलकर
नाव मध्य स्थिर
नहीं हिलती-डुलाती
गहरे पानी का यह सामर्थ्य

आधे शहर का जल-प्रदाता
डैम कह लें इसे
मुझे तो स्कूटर पर लाना पड़ता है
नजदीक के पानी-स्टैंड से
यह तालाब
किस तरफ छलकता है
यह तू जाने
मैं तो जानता हूं सिर्फ
धरा में झिलमिलाता पानी
नीचे कॉलानी में मकान
बहुत खूब विचार!

लबालब तालाब के पास
मोतियों से बांधी पाल
पाल पर प्रेमी,
लबालब लहराते
तालाब के किनारे
आसमानी फुंवारे तुम पर फेंकता हूं
खिलखिलाहट भरी हंसी फैल जाती है-
आसमानी
तालाब के किनारे

अनुवाद : नीरज दइया