भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

ताला / सोनी पाण्डेय

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज

उनके पास लड़कों के लिए
आज भी पूरी कायनात है
पर लड़कियों के लिए केवल
ताले,
एक ताला जबान पर लगा कर
कहा...
हँसना पर दाँत न दिखे...
एक ताला हाथ में लगाते हुए कहा
लिखना पर दर्द न दिखे...
एक ताला पैरों में लगाते हुए कहा
चलना पर चाल बेढ़ंगी न हो...
एक ताला दिमाग पर जड़ते हुए कहा
सोचना पर सोच हमारी हो...
एक ताला मन पर मारते हुए
सख़्त चेतावनी दी
कभी मनमानी मत करना...
सबसे विशाल ताला लगाया सपनों पर
फेंक दी चाभी सभ्यता के समुद्र में
वह जानते हैं सपने उफनते हैं
बदकते और पकते हैं
इस लिए उनकी दुनियाँ में
सबसे बड़ा पहरा
हमारे सपनों पर है
और मेये प्रिय कवि पाश कहते हैं
सबसे बुरा है
हमारे सपनों का मर जाना...