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तिमीलाई अचेल कहाँ भेटुँ / गगन विरही

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तिमीलाई अचेल कहॉ भेटुँ
पहरामा भेटुँ या छहरामा भेटुँ
कि दिल हर्ने त्यो फूलको लहरामा भेटुँ

नभेटुँ कतै यो मनमा हलचल
नदेखुँ कतै निदँमा खलबल
दुबैको तिर्खा कहाँनिर मेटुँ
अघाउञ्जेल हेर्न दोबाटोमा भेटुँ

अधरमा फुल्ने गीत हौ तिमी
नजरमा भुल्ने प्रित हौ तिमी
तिमीलाई मिठो धूनमा सुनुँ
तिमिलाई उज्यालो हिउँमा देखुँ