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तिरा मुख मशरिक़ी, हुस्न अनवरी, जल्वा जमाली है / वली दक्कनी

तिरा मुख मशरिक़ी, हुस्न अनवरी, जल्‍वा जमाली है
नयन जामी, जबीं फि़रदौसी-ओ-अबरू हलाली है

रियाज़ी फ़हम-ओ-गुलशन तब्‍अ-ओ-दाना दिल, अली फ़ितरत
ज़बाँ तेरी फ़सीही-ओ-सुख़न तेरा ज़लाली है

निगह में फ़ैज़ी-ओ-क़ुदसी सरश्‍त-ए-तालिब-ओ-शैदा
कमाली बद्र दिल अहली-ओ-अँखियाँ सूँ ग़ज़ाली है

तू ही है ख़ुसरव-ए-रौशन, ज़मीर-ओ-साहिब-ए-शौकत
तिरे अबरू ये मुझ बेदिल कूँ तुग़रा-ए-विसाली है

'वली' तुझ क़द-ओ-अबरू का हुआ है शौक़ी-ओ-माइल
तू हर इक बैत आली होर हर इक मिसरा ख़याली है