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"तिरिया एक चतर पर बहना / हरियाणवी" के अवतरणों में अंतर

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गोरी बाको बदन चाल बैरिन की मतवारी।
 
गोरी बाको बदन चाल बैरिन की मतवारी।
 
पतरी पतरी कमर थोंद ही गोला गुदकारी।
 
पतरी पतरी कमर थोंद ही गोला गुदकारी।
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एक दिन करो सिंगार नार ने तीहर पहर ली,
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सीसो लियो हाथ रेख दो नैनन बीच गही।
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लगा लियो अखियन में कजरा,
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या ढब ले रहो झिमार उठै ज्यों सावन को बदरा।
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नार इक सुआ सारी है,
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इत उत के चोटी परी लगे जैसे नागिन कारी है।
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आए रहे अंगिया पै जलसा,
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पीछे के चोटी बन्धी धरे दो सोरन के कलसा।
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नार में सोने की हंसली,
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हार हमेर गुलीबन्द एक माला मोतिन की असली।
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करै इस पायल झनकारो,
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झांझन चूरी सोठ करूला गोटे पै नारो
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रचा लई हाथन में मेंहदी
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मांगन में भरयो सिन्दूर धरी दो माथे पे बैंदी।
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पहर लई अंगलिन में गूंठी,
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जब लगी बिरह की भूख नार की फिर देही टूटी।
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गुदा लिया टूण्डी पे मोरा,
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हंसन की लगतार बीच में सारस को जोरा।
 
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15:46, 17 जुलाई 2014 का अवतरण

तिरिया एक चतर पर बहना। कजरे भरी राखती नैंना।
गोरी बाको बदन चाल बैरिन की मतवारी।
पतरी पतरी कमर थोंद ही गोला गुदकारी।
एक दिन करो सिंगार नार ने तीहर पहर ली,
सीसो लियो हाथ रेख दो नैनन बीच गही।
लगा लियो अखियन में कजरा,
या ढब ले रहो झिमार उठै ज्यों सावन को बदरा।
नार इक सुआ सारी है,
इत उत के चोटी परी लगे जैसे नागिन कारी है।
आए रहे अंगिया पै जलसा,
पीछे के चोटी बन्धी धरे दो सोरन के कलसा।
नार में सोने की हंसली,
हार हमेर गुलीबन्द एक माला मोतिन की असली।
करै इस पायल झनकारो,
झांझन चूरी सोठ करूला गोटे पै नारो
रचा लई हाथन में मेंहदी
मांगन में भरयो सिन्दूर धरी दो माथे पे बैंदी।
पहर लई अंगलिन में गूंठी,
जब लगी बिरह की भूख नार की फिर देही टूटी।
गुदा लिया टूण्डी पे मोरा,
हंसन की लगतार बीच में सारस को जोरा।