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तिलचट्टे / श्रवण कुमार सेठ

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खा पी कर के हट्टे-कट्टे
टहल रहे देखो तिलचट्टे
 
छुपने के उनके हैं अड्डे
घर में कई जगह हैं गड्ढे

झाँका करते हैं पटनी से
इनको प्यार बहुत चटनी से

चटनी पीस के माँ जो जाती
तिलचट्टों की टोली आती

बची-खुची वे चटनी चाटें
सिलबट्टे संग खुशियाँ बांटें