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"तुझे पाया / गुलाब खंडेलवाल" के अवतरणों में अंतर

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तुझे पाया अपने को खोकर
 
तुझे पाया अपने को खोकर
करूँ अनागत की चिंता क्यों, प्रभ! मैं तेरा होकर?
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करूँ अनागत की चिंता क्यों, प्रभु! मैं तेरा होकर?
 
 
 
 
 
जब यह आत्मा चिर-अक्षय है  
 
जब यह आत्मा चिर-अक्षय है  
तू उदार है करुणामय है  
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तू उदार है, करुणामय है  
 
क्या फिर मुझे काल का भय है!  
 
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व्यर्थ मरूँ क्यों रोकर!
 
व्यर्थ मरूँ क्यों रोकर!
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पल-पल सिमट रहा हो घेरा  
 
पल-पल सिमट रहा हो घेरा  
 
पर जो प्राण अंश है तेरा  
 
पर जो प्राण अंश है तेरा  
ग्रस न सकेगा उसे  अँधेरा 
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ग्रस न सकेगा उसे अँधेरा 
 
जागूँगा बस सोकर
 
जागूँगा बस सोकर
 
 
 
 
 
यही विनय है, जब तन छूटे
 
यही विनय है, जब तन छूटे
मोहमयी निद्रा  तो टूटे
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मोहमयी निद्रा तो टूटे
 
हार न वे कहलायें झूठे  
 
हार न वे कहलायें झूठे  
 
जाऊँ जिन्हें पिरोकर
 
जाऊँ जिन्हें पिरोकर
  
 
तुझे पाया अपने को खोकर
 
तुझे पाया अपने को खोकर
करूँ अनागत की चिंता क्यों, प्रभ! मैं तेरा होकर?
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करूँ अनागत की चिंता क्यों, प्रभु! मैं तेरा होकर?
 
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01:51, 20 जुलाई 2011 के समय का अवतरण


तुझे पाया अपने को खोकर
करूँ अनागत की चिंता क्यों, प्रभु! मैं तेरा होकर?
 
जब यह आत्मा चिर-अक्षय है
तू उदार है, करुणामय है
क्या फिर मुझे काल का भय है!
व्यर्थ मरूँ क्यों रोकर!
 
पल-पल सिमट रहा हो घेरा
पर जो प्राण अंश है तेरा
ग्रस न सकेगा उसे अँधेरा 
जागूँगा बस सोकर
 
यही विनय है, जब तन छूटे
मोहमयी निद्रा तो टूटे
हार न वे कहलायें झूठे
जाऊँ जिन्हें पिरोकर

तुझे पाया अपने को खोकर
करूँ अनागत की चिंता क्यों, प्रभु! मैं तेरा होकर?