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तुम्हारा शब्द-कोश / प्रणय प्रियंवद
Kavita Kosh से
योगेंद्र कृष्णा (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 16:17, 14 जून 2011 का अवतरण
तुम एकाएक मुस्कुरा उठते
मारने लगते किलकारियाँ
तुम एकाएक रोने लगते, तब
माँ समझ जाती कि तुम
भूखे हो।
जब तुम और छोटे थे
तब एक ही जगह लगाते
टकटकी
अब तुम आँखें घुमाते हो
पहचानते हो आवाज़
करवट बदलना चाहते हो।
अब तुम रोते हो तो
मैं समझ जाता हूँ
तुम्हें चाहिए और प्यार
अब तुम्हें बहुत सोना पसंद नहीं
तुम्हें गोद पसंद है।