भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

तुम्हारी छुअन / कविता भट्ट

Kavita Kosh से
वीरबाला (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 06:16, 5 अक्टूबर 2019 का अवतरण ('{{KKRachna |रचनाकार=कविता भट्ट |अनुवादक= |संग्रह= }} {{KKCatKavita}} <poem>...' के साथ नया पृष्ठ बनाया)

(अंतर) ← पुराना अवतरण | वर्तमान अवतरण (अंतर) | नया अवतरण → (अंतर)
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज

जहाँ अर्घ्य दिए चाँद को,
वहाँ झुरमुट में चाँदनी है

अब कुछ तो राग छेड़ो,
कि यहाँ मौन रागिनी है।

तुम साँसे दहका गए हो,
तुम्हारी छुअन दामिनी है।

मुझे धीमे से कह गए हो-
यह प्रीत कस्तूरी कामिनी है।