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तुम्हारे आने पर / मोहिनी सिंह

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तुम्हारा आना
और मेरा एक जटिल कविता पढ लेना
छाप है, कुछ अनुभूति भी है
उत्सुकता बांधे गहराई है
कई जानी पहचानी पंक्तिया
कई अटपटी उपमाएं
कई रंगो की उलझी डोरियााँ
सुलझाना
और इस छोर से उस छोर तक कभी ना पहुंच पाना ।