Last modified on 13 अगस्त 2017, at 11:42

तुम्हारे प्रेम में - 1 / स्वाति मेलकानी

तुम्हारे प्रेम में
मैं डूबी
और
गहराइयों की चाह में
डूबती चली गई।
समुद्र के तले की
गहरी निष्क्रियता के बाद
मुझमें अपने होने की
कोई स्मृति शेष नहीं
शायद इसीलिए
तुमने भी
नहीं किया कोई प्रयास
मुझे खोजने का...

तुम्हारे प्रेम में
मैं डूबी
और
गहराइयों के भीतर
लम्बे अज्ञातवास में
मैंने तैरना सीखा
अब मैं पढ़ लेती हूँ
पानी में अपवर्तित होती
किरणों की
वास्तविक दिशा को
इसीलिए आज
समुद्र को अलविदा कहकर
मैं लौट रही हूँ
शहर की भीड़ में जा समाने।