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तुम्हीं बताओ वो कौन है जो हर एक लम्हा सता रहा है / बेगम रज़िया हलीम जंग

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तुम्हीं बताओ वो कौन है जो हर एक लम्हा सता रहा है
न नींद रातों को आ रही है न चैन दिल को ही आ रहा है

ये अश्क दामन भिगो रहे हैं ये आँखें सूजी हुई हैं मेरी
मैं एक जलवे की उस के तालिब मगर वो पर्दे गिरा रहा है

तवाफ़-ए-काबा को देख तो ले तड़प रहा है वजूद मेरा
न पाँव अब मेरे उठ रहे हैं न सामने घर वो आ रहा है

मैं एक मजबूर ना-तवाँ सी ज़ईफ़ बंदी हूँ उस से तालिब
तमाशा चुप-चाप वो देखता है कहाँ तरस मुझ पे खा रहा है

तुझे उस की क़सम है मौला है तुझ को महबूब दो जहाँ में
वो अपने जलवे दिखा दे मुझ को जो तू नज़र से छुपा रहा है

हर एक तदबीर बे-असर है न जी रही हूँ न मर रही हूँ
जूनून-ए-इश्क़-ए-ख़ुदा ही लोगो ये हाल मेरा बना रहा है