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तुम्हें अर्पण करें / रामेश्वर काम्बोज ‘हिमांशु’

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20
तर्पण करें
आओ सब सम्बन्ध
रुलाने वाले
धोखा देकर हमें
सदा सताने वाले।
21
एक तुम हो
जीवन में यों आए
खुशबू जैसे
जो कुछ है पास
तुम्हें अर्पण करें।