Last modified on 15 अक्टूबर 2017, at 17:55

तुम्हें जो पाया, सब गँवाया / शशि काण्डपाल

तुम बिन एक लम्हा,
इक दिन सा,
गुजारे ना गुजरा...

तुम बिन एक दिन,
सदी सा,
जिया ना गया

तुम बिन सांसे
चलीं तो,
लेकिन ली ना गईं...

लम्हात और ज़ज्बात
उमड़े तो
लेकिन बयाँ ना हुए...

बस वो वक़्त कहाँ उड़ जाता है,
जो तेरे साथ होने पर नजर आता है...