मोटर साइकिल पर सवार
घुस पड़ते हैं
जत्थे के जत्थे! झुंड के झुंड!
कौन घुस पड़ते हैं?
सुबह-सुबह कौन घुस पड़ते हैं?
--कुछ पता नहीं चलता!
लेकिन उसके बाद,
गाँव-गाँव, घर-घर !
अबोध-मासूम किसान का झरता है ख़ून,
जाग्रत किसान का झरता है ख़ून!
बांग्ला से अनुवाद : सुशील गुप्ता