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तुम कब समझोगे, सहचर के अर्थ? / उर्मिल सत्यभूषण
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विश्व को सह-अस्तित्व के
अर्थ समझाते हो
विश्व शांति के पाठ पढ़ाते हो
ओ साथी! अपने आसपास भी देखो
ओ पुरुष! स्वीकार करो सह अस्तित्व अपने घर में भी
सहचर बनकर घुलने दो
प्राणों में रिश्तों की गंध
सांसों को मिलने दो
लिखने दो प्यारे अनुबंध
नई आशाओं को उगने दो
गृहस्थी के गमले में। खिलने दो प्यार के फूलों को
कपोतों के जोड़ों को आने दो घर में
गुटरगूं करने दो। थोड़ा सा अहसास आज़ादी का होने दो।