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तुम कभी काम ये करने नहीं देते मुझको / अशोक 'मिज़ाज'
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तुम कभी काम ये करने नहीं देते मुझको
दिल के शीशे में सँवरने नहीं देते मुझको
फूल होकर भी किसी काम न आता शायद
तुम जो ख़ुशबू सा बिखरने नहीं देते मुझको
अब मेरे पाँवों में काँटे नहीं चुभ पायेंगे
लोग पलकों से उतरने नहीं देते मुझको
अपनी मंज़िल की लगन और ये क़दमों के निशाँ
एक लम्हा भी ठहरने नहीं देते मुझको