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"तुम गंगाजल हो गयी / सुरेश चंद्रा" के अवतरणों में अंतर

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कठिन प्रेम कविताएँ,
 
कठिन प्रेम कविताएँ,
 
मेरी जानिब ख़ालिस उर्दू की,
 
मेरी जानिब ख़ालिस उर्दू की,
'तुम' नफ़ासत भरी 'ग़ज़ल' हो गयी  
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तुम नफ़ासत भरी ग़ज़ल हो गयी  
  
थक कर सिमट गया मुझमे
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थक कर सिमट गया मुझमें
 
पोर-पोर दुखता मटमैला दिन,
 
पोर-पोर दुखता मटमैला दिन,
सुख सा निखरी-बिखरी मुझमे
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सुख सा निखरी-बिखरी मुझमें
'तुम' गमकती 'संदल' हो गयी  
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तुम गमकती संदल हो गयी  
  
साँझ ढल कर कंटीली हुई
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साँझ ढल कर कँटीली हुई
 
मैं खुरदुरा घवाहिल ढहा  
 
मैं खुरदुरा घवाहिल ढहा  
 
फाहा-फाहा, रोआं-रोआं
 
फाहा-फाहा, रोआं-रोआं
'तुम' मेरा 'मलमल' हो गयी
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तुम मेरा मलमल हो गयी
  
 
मैं उभरा जब भी, पश्ताचाप संताप भाप सा
 
मैं उभरा जब भी, पश्ताचाप संताप भाप सा
'तुम' उतरी मेरी आँखों में, 'गंगाजल' हो गयी !!
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तुम उतरी मेरी आँखों में, गंगाजल हो गयी  
 
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12:58, 20 अक्टूबर 2017 के समय का अवतरण

मैंने लिखी क्लिष्ठ हिंदी में
कठिन प्रेम कविताएँ,
मेरी जानिब ख़ालिस उर्दू की,
तुम नफ़ासत भरी ग़ज़ल हो गयी

थक कर सिमट गया मुझमें
पोर-पोर दुखता मटमैला दिन,
सुख सा निखरी-बिखरी मुझमें
तुम गमकती संदल हो गयी

साँझ ढल कर कँटीली हुई
मैं खुरदुरा घवाहिल ढहा
फाहा-फाहा, रोआं-रोआं
तुम मेरा मलमल हो गयी

मैं उभरा जब भी, पश्ताचाप संताप भाप सा
तुम उतरी मेरी आँखों में, गंगाजल हो गयी