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"तुम गर हो सीना मुझ को बना लो धड़कन/ विनय प्रजापति 'नज़र'" के अवतरणों में अंतर

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तुम गर हो सीना मुझ को बना लो धड़कन
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तुम गर हो सीना मुझको बना लो धड़कन
आतिश बहे नस-नस में मिटे शीत की कम्पन
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आतिश बहे नसों में मिटे शीत की कम्पन
  
जिस सूरत पे दिल आ गया उसपे निसार है सब
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जिस सूरत पे दिल आ गया उसपे निसार
मेरी यह उम्र, यह जान, यह यौवन
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है सब, मेरी यह उम्र, यह जान, यह यौवन
  
रंग-बिरंगे फूल खिले ख़ुशबू बिखरी हर-सू
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मन की तितली फिरती है गुलशन-गुलशन
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मन की तितली फिर रही है गुलशन-गुलशन
  
प्यार का जादू अब हम समझे क्या होता है
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प्यार का जादू अब समझे क्या होता है
 
हम-तुम दोनों जैसे पानी और चन्दन
 
हम-तुम दोनों जैसे पानी और चन्दन
  
अब्रे-मेहरबाँ एक फ़साना रहा मुझको
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चन्द्रमा खो गया जिसमें मेरी बढ़ा के लगन
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वादा-ए-निबाह न किये फिर भी टूटे मुझसे
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है नसीब मुझको बिन चाँद यह स्याह गगन
 
है नसीब मुझको बिन चाँद यह स्याह गगन
  
तेरी नज़र ने ज़िबह किया बारहा मुझको
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रहा ताउम्र मुझ पर तेरा ही पागलपन
 
रहा ताउम्र मुझ पर तेरा ही पागलपन
  
 
‘नज़र’ तेरी मेहर को बैठा है आज तलक
 
‘नज़र’ तेरी मेहर को बैठा है आज तलक
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00:15, 10 अप्रैल 2011 के समय का अवतरण


लेखन वर्ष: २००४/२०११

तुम गर हो सीना मुझको बना लो धड़कन
आतिश बहे नसों में मिटे शीत की कम्पन

जिस सूरत पे दिल आ गया उसपे निसार
है सब, मेरी यह उम्र, यह जान, यह यौवन

रंग-बिरंगे फूल खिले ख़ुशबू बिखरी हर-सू<ref>सभी दिशाओं में</ref>
मन की तितली फिर रही है गुलशन-गुलशन

प्यार का जादू अब समझे क्या होता है
हम-तुम दोनों जैसे पानी और चन्दन

अब्रे-मेहरबाँ<ref>पानी बरसाने वाले बादल</ref> एक फ़साना रहे मुझको
चाँद खो गया जिनमें बढ़ा के मेरी लगन

वाद:-ए-निबाह<ref>साथ देने के वादे</ref> न किये फिर भी टूटे मुझसे
है नसीब मुझको बिन चाँद यह स्याह गगन

तेरी नज़र ने ज़िबह<ref>क़त्ल</ref> किया बारहा मुझको
रहा ताउम्र मुझ पर तेरा ही पागलपन

‘नज़र’ तेरी मेहर को बैठा है आज तलक
मरासिम<ref>बन्धन</ref> बना के जोड़ लो मुझसे बन्धन

शब्दार्थ
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