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तुम जितने हो दूर भले / रोहित रूसिया

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तुम जितने हो दूर भले
मेरा मन तेरे साथ चले

कितनी सुहानी थी
वो घड़ियाँ
जुड़ने लगी थी
मन की कड़ियाँ
जब हम तुमसे मिले

गीत लिखे थे
मैंने तुम पर
खूब हँसे थे
तुम भी सुनकर
जाने पल कब वह मिले

सूनी हो गई
दिल कि गलियाँ
मुरझा रही हैं
आस की कलियाँ
कब तेरा साथ मिले

मेरा मन तेरे साथ चले...