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1पत्तियाँ स्पंदीचाँदनी का कम्पनहरता मन।2अमर होतीमर के घास बुनेचिड़िया नीड़।3साहसी घासडाले न हथियारजमाए जड़ें।4कितना मरेहरी हो मुसकाएजीवट घास।5आँधी–तूफानज़ब्त न कर पाएँदूब– मुस्कान।6चर रहा हैपल–पल मुझे क्योंअंजाना डर।7तुम जो मिलेजगी हैं बेचैनियाँकहो क्या करें!8मचली चाहकल्पना में पगी हैप्यार की राह।8भीग गई मैंसावन की झड़ी-सीनेह तुम्हारा।10बातें तुम्हारीघोल गईं साँसों मेंललिता छंद।11जलाए मनसुधियों के अंगारेसिराए कौन।12अपनापनतनिक न खुशबूनिरा छलावा।-0-
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